B34 – पूनम की बेहद दुखभरी कहानी | Emotional Story

पूनम की कहानी बहुत ही Emotional Story है, आज भी पूनम कितने दुःख चुप चाप सह रही है आज की ये Emotional Story पढ़कर आपको  पूनम के दर्द का पता लगेगा। आइये साथ पढ़ते है ये पूनम की Emotional Story क्या हुआ पूनम के साथ। Emotional Story

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Emotional Story
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Emotional Story –

बात है 2003 की पूनम एक गरीब परिवार से थी और पूनम के पिता मज़दूरी करते थे पूनम की दो बड़ी बहने और है और उनकी भी शादी हो चुकी थी उनकी स्थिति भी ज्यादा ठीक नहीं है। क्यूंकि दहेज़ नहीं दे सकते थे ज्यादा इसलिए गरीब घर में शादी हुई सबकी। इसलिए पूनम हमेशा कहती रहती थी की मुझे शादी नहीं करनी।

लेकिन कुछ दिनों बाद पूनम के लिए एक रिश्ता आया जिन्होनें ये कहा की उनका बेटा पढ़ा लिखा है और गांव में बहुत ज़मीन है और उन्हें कोई दहेज़ भी नहीं चाहिए। पूनम के पिता ये सब बाते सुनकर बहुत खुश हुए और पूनम की शादी लड़के को बिना देखे ही तय करदी। लेकिन पूनम की माँ ने कहा – ऐसे-कैसे पक्की कर रहे पहले एक बार देख तो आओ और लड़के के बारे में पता करलो कैसा है”

लेकिन पूनम के पिता बोले – ऐसे कोई जुठ बोलेगा क्या और भरोसा भी करना जरूरी होता है” पूनम ने मना किया कि उसे नहीं करनी शादी लेकिन पूनम सरीफ और अपने माता-पिता बात मानती थी। इसलिए पूनम की शादी दिनेश से हो गयी, दिनेश भी एक गरीब परिवार से था और बहुत ही शराब पीता था और जुआ भी खेलता था लेकिन गांव के लोग और उसके माता-पिता ने झूठ बोल कर दिनेश और पूनम की शादी करबा दी।

दो महीने बाद – Emotional Story

शादी के दो महीने बाद ही पुनम् को पता चल गया था की दिनेश अनपड़ है जबकि पूनम सरकारी स्कूल में 8 बी पास थी शादी के कुछ दिन और गुज़र जाने के बाद एक दिन दिनेश शाराब पीकर आया तो पूनम ने दिनेश से कहा – आप शाराब पीकर क्यों आये” दिनेश शाराब के नशे में पुनम् से कहता है – तुझसे मतलब तु कौन होती है मुझे रोकने बाली ” और फिर पुनम चुप रह गयी ।

कुछ दिनों बाद दिनेश रोज़ शाराब पीकर घर आने लगा और पुनम को  शराब के नशे में गाली देने लगा और पूनम पर हाथ भी उठाने लगा। और इसलिए कुछ दिन पूनम ने दिनेश को देखा। फिर पुनम अपने घर गयी और घर जाकर अपने माता-पिता को सब बताया और कहा – अब नहीं जाना वहां” और ये कहकर पुनम ने अपने ससुराल जाने से इंकार किया।

लेकिन पुनम के पिता पुनम को डांटते हुए बोले – यहाँ कैसे रहोगी अब वही तुम्हारा घर है शादी सुदा बेटी घर रहेगी तो सब क्या बोलेंगे” और फिर पुनम रोने लगी और अपनी माँ से कहने लगी – मुझे वहां नहीं जाना तुम कुछ करो ” पुनम की माँ पुनम को समझाते हुए कहा – देखो तुम्हारी शादी हो गयी है और शादी के बाद लड़की को अपने ससुराल में रहना पढ़ता फिर चाहे जैसा हो पति ” पूनम ज़िद करती है और जाने से मना करती है।

पूनम के पिता गुस्से में कहते है – हमारी नाक कटवाना चाहती हो क्या एक बार बेटी की डोली के बाद उसकी अरथी ससुराल से ही उठती ये बात अपने दिमाग में डाल लो”। पूनम का मन नहीं था जाने का पर जब माँ बाप ही नहीं समझ रहे थे उसकी तकलीफ तो पूनम अगले दिन चली गयी । पुनम् दिनेश को झेलती रही और सब सहती रही 6 से 7 महीने बाद पता चला कि वह प्रेग्नेंट है।

उसी वक़्त दिनेश ने काम छोड़ दिया और ऐसे ही आवारा घूमता रहा। जितने पैसे दिनेश रखे था बो उसने शाराब में बरबाद कर दिये और जब पैसे खतम हो गए तो फिर एक दिन दिनेश शाराब के लिए पुनम से पैसे मांगता है पुनम ने दिनेश से डरते हुए कहा – पैसे नहीं है” दिनेश के माता-पिता अपने बड़े बेटे के पास रहते थे।

दिनेश पुनम से पैसे के लिए लड़ता है और अलमारी से कपड़े फेकता है और पैसे धूँडता है पैसे नहीं मिलते तो पूनम को गाली देकर उसे मारता है पुनम रोती रही और दिनेश से कहती रही- नहीं है पैसे, नहीं है पैसे” लेकिन दिनेश को शाराब की लत ऐसी लग रही थी कि उसने ये तक नहीं सोचा कि पूनम प्रेग्नेंट है और पुनम को बड़ी बेहरहमी से मारता रहा।

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कुछ दिनों बाद घर का राशन खतम होने लगता है, तो पुनम दिनेश से कहती है राशन ले आने को। तो दिनेश पुनम से उल्टा बोलकर कहता है – नहीं है पैसे मेरे पास” और फिर जैसे तैसे थोड़ा बहुत कुछ बचा था बो भी धीरे-धीरे खतम हो गया और दिनेश पुनम से खाना मांगता लड़ता और उसे काम करने को कहता है। पुनम लाचार और बेबस होकर मजदूरी करने गयी।

लेकिन प्रग्नेंसी के चलते पुनम ज्यादा दिनों तक काम नहीं कर पाई और एक दिन काम करते-करते उसे चक्कर आ गए और पुनम गिर गयी कुछ लोग पुनम को डॉक्टर के पास ले गये और डॉक्टर ने उससे आराम करने को कहा और काम करने से मना किया। पुनम ने अपने पति को बताया और काम करने नहीं गयी उसके बाद कुछ दिन के लिए पुनम अपने घर आ गयी ।

पुनम की हालत इतनी खराब लग रही थी कि जब उसकी माँ ने उसे देखा तो पुनम की माँ रो पड़ी, उसके बदन पर वही साड़ी थी जो बो हमेशा पहनती रहती। पुनम की माँ ने पुनम से पूछा – खुश नहीं हो वहाँ ” लेकिन पुनम अपना दर्द छुपाते हुए कहती है – नहीं खुश है सब ठीक है” और फिर पुनम की माँ अपनी कुछ साड़ी पुनम को देती है।

पुनम को कुछ महिनो बाद एक लड़का पैदा होता है दिनेश को कोई मतलव ही नहीं था कि उसे बेटा हुआ है बो बस इतना काम करता रहता कि शाराब के लिए पैसे मिलते रहे और दिनभर शराब के नशे में यहाँ-वहाँ डला रहता है । जब पुनम का बेटा एक महीने से ज्यादा का हो गया तो पुनम बापस अपने गांव यानी अपने ससुराल आ गयी।

ससुराल आते ही उसने घर की हालत देखी और दिनेश भी शाराब पिये सो रहा था पुनम ने आकर दिनेश को जगाया और अपना बच्चा उसे दिया। दिनेश शराब के नशे में अपने बेटे को प्यार करता है उसके साथ खेलता है उससे बातें करता है ” मेरा बच्चा पापा के पास आ गया” और शाराब के नशे में अपने बच्चे को खिला रहा था तो पुनम दिनेश को ऐसे देख कर खुश हो गयी और ये सोचने लगी कि अब शायद दिनेश शाराब पीना कम करदे।

लेकिन पुनम के कुछ दिनों के आने बाद ही दिनेश घर पर बैठ गया और पुनम को फिर से काम पर जाने को बोला लेकिन पुनम ने मना किया कि बो काम पर नहीं जायेगी तो दिनेश ने पुनम मारा गाली दी लेकिन पुनम फिर भी नहीं गयी। उसके बाद दिनेश ने घर का राशन लाना बंद कर दिया तो मज़बुरन पुनम को काम करना पढ़ा और अपने बेटे को साथ लेकर मजदूरी पर जाने लगी ।

गाँव में खेतों में काम मिल जाता था उसी में अपने बेटे को साथ लेकर काम करने जाने लगी। कुछ दिनों बाद पुनम ने पैसे इक्कठे करके एक रेडी लेली और सड़क किनारे सब्जी की रेडी लगाने लगी और अपने घर का गुजारा करने लगी उसी में से दिनेश को शराब के लिये पैसे देती घर चलाती। दिनेश को अगर पैसे नहीं देती तो बो उसे मारता लड़ता इसलिए दिनेश को भी मजबूरी में पैसे देती रही।

पुनम की माँ समझ गयी थी कि पुनम खुश नहीं है इसलिए उन्होंने पुनम के पिता को बताया । और फिर पुनम के माता पिता पुनम से मिलने उसके ससुराल गए। घर पर ताला लगा था तो बगल में एक औरत से पुनम की माँ ने पूछा – ये लोग कहा गए ” औरत ने जबाब देते हुए कहा – दिनेश तो कहीं शराब पीकर डला होगा और पुनम सड़क पर सब्जी की रेडी लगाती बो और उसका बेटा सड़क पर होगे ” और बो औरत जाते-जाते कहती गयी – बेचारी पुनम कैसे माँ बाप थे जो बिना देखे परखे इस नसेड़ी के गले बांध गए “

पुनम के माता-पिता के हाथ पेर सहम गए और सड़क की तरफ चल दिये अपनी बेटी की लाचार हालात देखने। सड़क के एक साइड एक रेडी लगी थी पुनम वही साड़ी पहने खड़ी थी जो पुनम की माँ ने उसे यहाँ आते वक़्त दी थी पुनम का बेटा रेडी पर ही एक तरफ लेटा था। पुनम के पिता की हिम्मत नहीं हो रही थी कि बो अपनी बेटी को मिले, पुनम की माँ जाकर पुनम से मिली और अपनी पुनम की हालत देख कर रो पड़ी ।

पुनम के पिता पुनम के पास जाकर उसके पैरो पर गिर पड़े और रोने लगे हाथ जोड़ कर पुनम से माफी मांगने लगे। और कुछ देर बाद पुनम के माता-पिता उससे साथ चलने को कहते है। लेकिन पुनम मना करते हुए कहती है – कि अब यही मेरा घर है तुमने ही तो कहा था डोली के बाद अरथी ससुराल से ही जाती है”और जाने से इनकार कर देती है, पुनम के माता-पिता पुनम के पास दो से तीन घंटे रुकते है।

उसके बाद पुनम को कुछ पैसे देते है और कहते है – बेटा जब तुम्हे लगे कि अब नहीं हो रहा तो चली आना बेझिझक “और अपने आप कोसते हुए वहाँ से चले जाते है। पुनम ने भो अपनो जिंदगी के साथ समझौता कर लिया था और मान लिया था कि यही उसका जीवन है। और आज तक पूनम अपने परिवार के लिए इन्ही मुश्किलों से जूझ रही है।

तो दोस्तो ये थी पुनम की कहानी Emotional Story, कैसी लगी आपको ये कहानी हमें कमेंट में जरूर बताये और अगर आप पूनम की दोनों बहनो की कहानिया जानना चाहते है तो हमें ये भी कमेंट में लिख कर बता सकते है धन्यवाद।

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